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Meeting Padmanabh Upadhyay at Banglore Airport on 5 Dec 2017 at 2 am.




रात को दो बजे के आसपास जब आप अकेले हो एयरपोर्ट पर एक फोन आये, साथ ही प्यार भरी एक मीठी सी जादू की झप्पी अपनत्व ,सम्मान और स्मृतियों के साथ मिलें और एक खूब बड़ी बढ़िया सी विदेशी चॉकलेट भी बोनस में - तो इससे बड़ी खुशी दुनिया में कोई हो सकती है क्या ?
पर दोस्ती की दुनिया मे ही यह सम्भव है। पदमनाभ उपाध्याय से परिचय फेसबुक के माध्यम से ही हुआ था। चित्रकूट के रहने वाले है। जब पढ़ रहे थे तो खूब बातचीत और फेसबुक पर वाद विवाद होता था। मजा आता था इस युवा होते किशोर के साथ वाद करने में। जब मैं लखनऊ में नौकरी करने गया तो एक बार हड़बड़ी में हम मिलें और खूब देर तक बातें करते रहें। बाद में कुछ गड़बड़ी में मेरे बहुत सारे दोस्त डिलीट हो गए थे - उनमें से एक ये भी थे। अभी बहुत मित्रो को खोज खोज कर जोड़ रहा हूँ क्योकि ये सब मेरी ताकत है। आज Prakalpa Sharma भी सौभाग्य से मिल गए।
आज अभी मेरा अपडेट देखकर पदमनाभ ने पूछा कि मैं भी एयरपोर्ट पर हूँ क्या मिलें, दुर्भाग्य से मैं अंदर लाउंज में आ गया था और ये बन्दा थाईलैंड, मकाऊ, हांगकांग की यात्रा कर लौटा था और बाहर हो गया था। दौड़कर पहुँचा मैं गेट पर और सुरक्षाकर्मियों से अनुरोध किया कि पांच मिनिट तो मिल लेने दें। वे तैयार हो गए तब हम मिलें, मजा आ गया सन 2012 के बाद यह आकस्मिक मुलाकात बहुत ही चौकानें वाली थी और बहुत ही भावुक भी। सुरक्षाकर्मी यह भरत मिलाप देखकर आश्चर्यचकित थे - उन्होंने पदमनाभ को अंदर आने दिया और दो मिनिट के बदले सात आठ मिनिट बातें करने दी हमें।
पदमनाभ आजकल पढ़ाई पूरी करके बैंगलोर में सिस्को में काम कर रहे है, मेरी तबियत का पूछा और बोले कि "ओह शुगर बढ़ी हुई है,मैं तो चॉकलेट लाया था भैया आपके लिए" मैंने कहा - "अरे भाड़ में गई शुगर तुम लाये हो तो दो" , वह दौड़कर ले आया और थमा दी हाथों में -यह सिर्फ एक चॉकलेट नही बल्कि एक मजबूत रिश्ते की पहचान है जो इस फेसबुक पर पिछले दस बारह वर्षों में विकसित हुआ है और अब स्थाई है। कौन मूर्ख कहते है कि फेसबुकिया दोस्ती, रिश्ते बेकार होते है। मुझे तो सबसे ज्यादा अपनत्व, भातृत्व और मानवीयता में यकीन करने वाले लोग - मित्र - साथी यही से मिलें है।
इसके दो भाई विदेश में है - एक शोध कर रहा है और दूसरा एम बी बी एस । माताजी चित्रकूट में दस वर्षों से राजनीति में सक्रिय है और समाज सेवा के काम जोश से करती रहती है।
ख़ुश रहो भाई, तुम्हारा गिफ्ट ड्यू रहा जो फरवरी में तुम्हे मिलेगा जब फिर आऊंगा लौटकर। आज तुम्हे इतना बड़ा, समझदार और जिम्मेदार देखकर मन बहुत भावुक है और दिल से सिर्फ दुआएँ ही निकल रही है।
बहुत स्नेह और दुआएँ तुम्हारे लिए लाड़ले भाई..... Padmanabh Upadhyay

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