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है देश ज़िंदा क्योकि देश सबका है.... संदीप नाईक



देश की स्थिति गृह युद्ध से ज्यादा घातक है, हर जगह जाति, वर्ग, वर्ण, राजनीति, अर्थ और वर्चस्व के मुद्दों पर हिंसा हो रही है। तीन सालों में यह सबसे घातक समय है और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी जी ने कल कहा कि जनता को सवाल और अधिक पूछने चाहिए ।कल जब वे एक मीडिया संस्थान में बोल रहे थे तो उन्होंने कहा कि सत्ता के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति और सत्ता में बैठे लोगों से सवाल होना चाहिए, खासतौर पर ऐसे समय जब सबसे ऊंची आवाज में बोलने वालों के शोर में असहमति की आवाजें डूब रही हैं! अर्थात ये स्वर कोलाहल में ज्यादा तनाव पैदा कर रहे है।ठीक इसके विपरीत मीडिया में आज सभी अखबारों में रंगीन पृष्ठों पर 2, 3 जैकेट और थोथी उपलब्धियों में अपने मुंह मियां मिठ्ठू बनने की प्रवृत्ति बहुत ही शर्मनाक है।
बहुत निष्पक्ष और तटस्थ भाव से कह रहा हूँ कि जनसंघ से शुरू हुई और संघ के अनुशासनात्मक आचरण वाली पार्टी जो आज भाजपा भी नही मात्र दो व्यक्तियों पर केंद्रित होकर रह गई है यह भी भाजपा के लिए नुकसानदायक है। समय रहते यदि इस आंतरिक तानाशाही और व्यक्ति केंद्रित सत्ता में बने रहने की राजनीति को नियंत्रित नही किया गया तो दस सालों में क्या अगले चुनावों में ही पार्टी अनुशासन की सीमा तोड़कर लोग बगावत कर देंगे। मप्र, छग, राजस्थान , झारखंड, जैसे राज्यों में गत 15 वर्षों से एक व्यक्ति ने जिस अंदाज में अंगद की तरह पाँव जमाकर राज्यों का तंत्र बिगाड़ा और पूरी नौकरशाही को भ्रष्ट किया वह शोचनीय है, वहां बगावत के सुर राज्य से लेकर नगरीय निकायों में सुनाई देने लगे है, ये दीगर बात है कि विरोधी को निपटाने के प्रचलित और नवोन्मेषी तरीके भी सत्ता के शीर्ष से ही आये है और बगावतकारी निपट रहे है। पर यह Mutiny आपको अगले चुनावों में जरूर दिखेगी जिसका अंदाजा अमित जी शाह को भली भांति है।
बहुत जरुरी है बचे हुए दो सालों में संघीय ढांचे के अनुरूप जन आकांक्षाओं को पूरा करना और देश की सामाजिक समरसता को बनाये रखना, यह मान लीजिए कि सत्ता और नौकरशाही की सहृदयता से ही हिंसा हो रही है और पूरा देश हिंसा की भट्टी में तप रहा है। इस बीच सरकार मनमाने आर्थिक सुधार और निर्णय जनता पर सौंप और थोप रही है। याद रखिये यही जनता आपको एक मौका और दे सकती है पर उसके बाद आपका अस्तित्व मिट जाएगा। कांग्रेस को 10 बार मौका दिया क्योंकि उस राज में इतनी ना दिक्कतें थी, ना महंगाई , ना जागरूकता, ना सूचना तकनीक । काँग्रेस ने हिन्दू मुस्लिम दंगों के बीज डाले और खूब प्रश्रय दिया आज काँग्रेस का नामोनिशान मिट गया। आप जाति हिंसा को बढ़ावा दे रहे है और पढ़े लिखे दलितों को आप आश्रय देकर सुनियोजित तरीके से हिंसा फैला रहे है, याद रखिये 2024 में आप का भी निशान मिट जाएगा।
दो लोगों को अब देश के साथ भाजपा के और संघ के लोगों को ही आगे आकर नियंत्रित करना होगा। वरना ना दीनदयाल जी बचेंगे , ना गुरुजी, ना हेडगेवार जी और जब तक आप कुछ "डेमेज कंट्रोल" करेंगे जनता का विश्वास खो चुके होंगे। इतिहास देखना हो तो नंद वंश को देखो, सीखो और जीवंत केस स्टडी देखना हो काँग्रेस छोड़कर , तो अरविंद केजरीवाल को ही देख लीजिए कि एक व्यक्ति के कारण कैसे एक पार्टी, प्रचंड बहुमत में आई सरकार आत्मघाती बन जाती है और खुद अपने कफ़न का हालिया इंतज़ाम कर लेती है।

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