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Showing posts from June, 2016

Posts from 24 to 30 June 16

मुझे याद है जब मैं प्राचार्य था तो एक अधिकारी मेरे पास आये वे बोले कि मेरे बच्चों के छात्रवृत्ति के फ़ार्म फॉरवर्ड कर दो , तो मैंने कहा सर ये तो अनुसूचित जाति के है और आप तो सवर्ण है , बोले नही वो तो मैंने सरनेम बदल दिया है, असल में तो मैं चमार हूँ। मैंने कहा उसमे कोई गलत नही पर ये सवर्ण होने का नाटक क्यों तो बोले फर्क पड़ता है। एस डी एम रहते हुए सवर्ण बनकर देवास में खूब तथाकथित यश कमाया ब्राह्मण समाज की अध्यक्षता करते रहे, सम्मेलन में ज्ञान बाँटते रहें और जब विभागीय डी पी सी क ी बात आई तो अपना चमार होना स्वीकार करके आय ए एस बन गए। पूरा ब्राह्मण समुदाय हैरान था, बाद में वे प्रमोट होकर कलेक्टर बन गए , यहाँ वहाँ कलेक्टर बने और खूब रुपया कमाया, अपने नालायक बच्चों को सेट करवाया , खूब चांटे भी खाये जहां गए वहां सार्वजनिक रूप से लोगों ने जन सुनवाइयों में पीटा और घसीटा। बाद में शिकायतों के अम्बार के बाद इन्हें भोपाल में बुला लिया पर जो सवर्णवादी ठसक का दिखावा करते थे वो गजब की थी साले सवर्ण शर्मा जाए !!! बहरहाल ये हकीकत है, दलित को दलित कहने में शर्म आती है और ये चयनित अधिकारी सवर्णों

Posts between 16 to 23 June 16 Mamoni and Sankalp

जैन दर्शन में एक सिद्धांत होता है - देखने का, दृष्टा का, सम्यक दर्शन, ज्ञान और सम्यक चारित्र का; जो कहता है कि हर वस्तु जीव का एक चरित्र और स्वभाव होता है. जैसे मिर्ची है, तो उसका चरित्र चरपरापन है, तीखापन है; पानी का चरित्र बहना है, गीलापन है, काक्रोच का स्वभाव गंदगी में रहने का है, मच्छर का स्वभाव काटना है, जौंक का स्वभाव खून चूसना है, सांप का विष वमन करना है, जहर का स्वभाव जहर फैलाना है, गुलाब का स्वभाव खुशबु है,.....आदि-आदि. जब आप इनसे इनके स्वभाव और चरित्र के अलावा किसी  व्यवहार की अपेक्षा करेंगे, तो वह स्वभाव कार्यरूप में आना संभव न होगा और अपन कुड़ेने लगेंगे. अब गलती उस जीव या वस्तु की तो नहीं है; कि वह हमारे अनुरूप व्यवहार नहीं करते; गलती हमारी है कि हम गलत अपेक्षा या उम्मीद कर रहे हैं. वे तो अपने चरित्र और स्वभाव के अनुरूप की कार्यरत हैं. अब ऐसे में क्या करें? तो सिद्धांत कहता है कि जब आप चरित्र और स्वभाव को बदल नहीं सकते, तो अपनी भूमिका तय करो और सिर्फ देखो कि क्या हो रहा है, कौन कर रहा है? आप अपने स्वभाव और चरित्र को ही नियंत्रित कर सकते हो, उसके अनुरूप चलो; बस! इससे

महंगाई के खेल में लिप्त मोदी सरकार Posts of 16 June 16

महंगाई के खेल में लिप्त मोदी सरकार  इस देश के राजनीतिज्ञों, प्रशासन और नीति निर्माताओं को आम लोगों से कुछ लेना देना नहीं है यह तो स्पष्ट ही है पर सुप्रीम कोर्ट और रबर स्टाम्प राष्ट्रपति भी इतनी बेरुखी दिखाएँगे यह पता नही था। सरकार के हाथ से शासन और प्रशासन दोनों छूट गया है या तो सरकार खुद इस पूरे महंगाई के खेल में शामिल है या भृष्ट, गुंडे मवालियों के दबाव में कुछ भी कर पाने में असमर्थ है।   यह दुर्भाग्य है कि सब्जी से लेकर खाने की वस्तुएं और पेट्रोल डीजल पर अब बाजार का कब्जा है। मनमोहन रचित बाजारीकरण और खुलेपन से वर्तमान सरकार को और ज्यादा मौक़ा मिल गया कि वह देश को कैराना से लेकर उलजुलूल मुद्दों में उलझाये रखे और अम्बानी से लेकर गली मोहल्ले के टुच्चे व्यापारी नंगा नाच करें और सुबह शाम निक्कर पहनकर देश भक्ति में नमस्ते सदा वत्सले गाते रहें। जिस देश के विकास के खोखले नारे लेकर विदेशों में भीख का कटोरा और चापलूसी का छद्म रचते हो वह कितना घिघौना है, छि ! भारतीय जनतंत्र में किसी भी सरकार ने दो साल में इतना खराब शासन कभी नही किया, यहां तक कि जिन भृष्ट कांग्रेसियों को हटाक

Posts of 15 June 16 देश बदल रहा है‬

फिर भी खिल रहे है बिना नागा फूल दोपहरी में  महक रहा है पुदीना और मोगरा इस ताप में तुतलाती जुबान से विकसित हो रही है भाषा लार्वा से बन रही है मछलियाँ और मेंढक एक ठहरे पानी में तैर रहे है अमीबा अभी भी हाथी और शेर को चुनौती नही दे पाया कोई पेड़, पहाड़ और ऊँचे हो रहे है हर पल   जमीन में लगातार फ़ैल रही है जड़े हवा अभी भी आवारा सी घूम लेती है उन्मुक्त दुनिया में अभी भी प्रेम पींगे पसार लेता है सूरज वक्त पे निकल आता है उसी ऊर्जा से चाँद की गति भी बदल रही है पक्ष दर पक्ष जुगनू रोज लड़ते है मजबूत अंधेरों के खिलाफ नन्हे से बीज फोड़कर उग आते है बंजर धरती को सब कुछ वैसा ही है ठहराव और बदलाव पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना बदस्तूर जारी है सिवा इसके कि एक गिरगिट को लगता है कि उसके हर पल रंग बदलने से दुनिया बदल जायेगी   उसके अनुसार और थम जायेगी गति पूरे ब्रह्माण्ड की   और वह समय को थाम लेगा मुट्ठी में । ‪#‎ देशबदलरहाहै‬  . ***** बुढ़ापा बचपन की शैतानियों और जवानी के सद-लक्षणों से गुजरता पाप होता है जिसे भुगतने के लिए सबको तैयार रहना चाहिए। -

Posts of 14 June 16 PM Modi

प्रधानमंत्री ने इलाहाबाद में कहा  कि " अगर ढंग  से काम नही किया तो लात मारकर बाहर कर देना " लम्पट, लठैत और गुंडे मवाली जब सत्ता में आते है तो भाषा का सबसे पहले चीर हरण होता है, और फिर इनका तो गांधी वध से लेकर गुजरात, बाबरी मस्जिद, मुज्जफर नगर, दादरी, और अब ताजे नकली कैराना तक संहारों में साफ़ हाथ है , अस्तु यदि "लात घूंसे माँ बहन और आदि अलंकारिक शब्दों का प्रयोग" सांविधानिक पद पर बैठा कोई भी शख्स करता है और मीडिया इसे प्रचारित करता है तो कोई गलत बात नही है। फांसीवाद की दबे पाँव नहीं खुले आम कानूनी रूप से लाल कार्पेट बिछाकर स्वागत करने वाली बात है यह और अब इस बहस का  भी कोई मतलब नही कि पन्त प्रधान तो श्रेष्ठ है परंतु उनके सिपाही , संगी साथी - जो साधू संतों के भेष में सांसद बने बैठे है या विधायक जो सरकारें गिराने के लिए या राज्य सभा जैसे पवित्र सदन में खरीदी फरोख्त से लेकर गुंडई करने माहिर है, खराब है। जब तक ऊपर से श्रेय या राज्याश्रय नही होगा तब तक कोई चूँ चपड़ नही कर सकता। दुखद है एक सबसे बड़े लोकतन्त्र के प्रमुख का इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना, और हम घर

Narendra Modi's 5 Country Visit and Poor India.and #Subahasawere news paper Post of 9 June 16

Narendra Modi's 5 Country Visit and Poor India.  (अंधभक्त, चापलूस, और कमजोर दिल वालें ना पढ़ें और उल्टी करना मना है, यह पोस्ट सिर्फ भारत देश से प्यार करने वालों और देशहित में सोचने वालों के लिए है. सोचा था कि अब मोदी पर अपना समय जाया नहीं करूंगा पर कल की नौटंकी देखकर लगा कि एक पोस्ट तो बनती है -देश बदल रहा है) भाषण की तारीफ़ करना होगी और खासकरके इस बात के लिए कि अंगरेजी में बोले वे, देश की उजली तस्वीर सामने रखना गुनाह नहीं है और नाही इस उजलेपन से आती हुई ग्रांट यानि अनुदान का रुपया, एनजीओ इस काम में बेहद माहिर होते है, गरीबी परोसकर करोड़ों रुपया लाना आसान है. परन्तु मोदी जी जिस उजलेपन की तस्वीर के सहारे देश में संडास से लेकर एनएसजी की सदस्यता तक के लिए देश के आर्थिक, सामाजिक और विकास की बेहद उजली तस्वीर सामने रखकर संविधान की दुहाई दे रहे है क्या वह वाकई में इतना उजला है. जब वे वहाँ लोकतांत्रिक मूल्यों की दुहाई दे रहे थे ठीक उसी समय पहलाज यहाँ घोषणा कर रहे थे कि "वे चमचे है- मोदी जी के" यह किस संविधान और देश की तस्वीर है. लोग तारीफ़ कर रहे है भाषण की, मुझे भी अच्छा लगा

देवास में प्रेमचंद सृजन पीठ का कार्यक्रम और कहानी पाठ Posts of 5 June 16

कहानियों को अनुभव और कल्पनाशीलता समृद्ध बनाती है आज की कहानियां सजग चौकन्नी और समय का आईना दिखाती कहानियाँ है। कहानियों को जीवन  अनुभव कल्पनाशीलता और कला समृद्ध तथा पठनीय बनाती है।  यह बात वरिष्ठसाहित्यकार सूर्यकान्त नागर, इंदौर ने कहानी पर आधारित कार्यक्रम में अध्यक्षता करते हुए कही।  वर्तमान कहानी पर चर्चा और कहानी पाठ का ये कार्यक्रम प्रेमचन्द सृजन पीठ उज्जैन द्वारा शहर में आयोजित किया गया था। कार्यक्रम संयोजक मोहन वर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम में अपने समय के तीन कहानीकारो रवीन्द्र व्यास, इंदौर, शशिभूषण, उज्जैन तथा संदीप नाईक, देवास ने अपनी ताज़ा कहानियों का पाठ किया साथ ही वरिष्ठ कथाकार डॉ प्रकाश कान्त ने कहानियों के सफर पर अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी दी। कार्यक्रम के आरंभ में प्रेमचन्द सृजन पीठ के निदेशक ने सृजन पीठ के कार्यक्रमों की जानकारी दी। पश्चात सृजन पीठ केनिदेशक जीवन सिंह ठाकुर,ओम वर्मा , बहादुर पटेल तथा ब्रजेश कानूनगो ने अतिथियों का स्वागत किया। कहानियों की विकास यात्रा पर बोलते हुए डॉ प्रकाश  कान्त ने कहा समय के साथ कहानी अपना पाठ बदलती  रही है। कहानियों

Posts of 1-3 June 16

***** हिंदी में साहित्य की पत्रिकाएं लगातार महंगी होती जा रही है, भयानक मोटी, स्थूल, विचारशून्य, और एक विशेष किस्म के लोगों को छापकर उपकृत करती रहती है और उस पर से विशुद्ध व्यावसायिक बुद्धि से प्रकाशन गृह चलाने वाला और हर जगह जुगाड़ और संपर्कों से अपनी कूड़ा किताबें खपा देने वाला प्रकाशक गर्व से प्रेस लाईन और हर तीसरी पंक्ति में लिखेगा "अवैतनिक और अव्यवसायिक" साथ ही गरीबी का रोना ऐसा रोयेगा कि दुनिया का सबसे बड़ा भिखारी वही हो। 100 से लेकर 500 रूपये तक पत्रिकाएं निकाल रहे है। रेतपथ से  लेकर तमाम उदाहरण सामने है। मजेदार यह कि हरेक के अपने बन्धुआ है जो लपक कर पेल देते है वही कूड़ा कचरा जो सदियों से लिखकर अमर होना चाह रहे है और नोबल पुरस्कार की आस में मुंह धोकर बैठे है, ये वो लेखक है जो साहित्य के आतंकवादी और नक्सल गैंग के सरगना है और मजाल कि कोई और कुछ कर लें। बहरहाल इतनी भारी कचरा पत्रिकाओं को ना पढ़ें ना खरीदें ये सिर्फ स्वान्त सुखाय और आत्म स्खलन के औजार है जिससे ये प्रकाशक और लेखक हिंदी और पढ़ने वालों की हत्या कर रहे है। इससे बढ़िया मनोहर कहानियाँ, सत्यकथा, कर्नल रंजीत के