Skip to main content

Posts of 1 Dec 16



#वित्त_मंत्रालय की गाइड लाईंन के अनुसार कल से फेस बुक पर कमेंट और लाईक की सीमा तय की गयी है
विवाहित पुरुष 2 कमेंट और 5 लाईक
विवाहित महिला 5 कमेंट 50 लाईक
अविवाहित पुरुष 5 कमेंट और 100 लाईक
अविवाहित महिला 25 कमेंट और 150 लाईक
युवा सिंगल पुरुष 50 कमेंट और 300 लाईक
युवा सिंगल महिला 100 कमेंट और 1000 लाईक
बेरोजगार लोग 24X7 कमेंट और लाईक ना करने पर फेसबुक से ब्लॉक।
******
पुरुष कवि मात्र 2 कविता पेलेंगे 
महिला कवि अधिकतम 25 कविता 
और सभी को महिला कवियों पर लाईक कमेंट अनिवार्य अन्यथा देशद्रोह में अंदर किया किया जा सकता है। 
******
ज्ञानी और विद्वान मात्र 4 ब्लॉग के लिंक और अखबार की कतरनें या लिंक लगा सकते है
******
बुद्धिजीवी ज्यादा से ज्यादा 3 पोस्ट में ज्ञान बघारेंगे 
******

सनद रहे

*****
लेपटॉप बाबा के आश्रम "कबीर कुल" में दो जिज्ञासु बालक Shubham Vaidya Akshay Pathak
पानी को लेकर ये दोनों युवा साथी नया प्रकल्प शुरू कर रहे है जो अपने तरह का अनूठा काम है। जापान की केंगन तकनीक को प्रदेश में पहली बार इंदौर से शुरू किया है। कल प्रत्यक्ष प्रमाण देखें और पाया कि यह पानी आर ओ या अन्य फिल्टर्स से बेहतर है।
एक बात जो ज्यादा अपील की मुझे कि आप नल का पानी पी लें, परम्परागत स्रोतों से मिलने वाला पानी पी लें या प्लेटफॉर्म से पी लें पर बिसलरी या अन्य ना पीयें और सॉफ्ट ड्रिंक्स तो कदापि नही।
चूंकि अब शीतल पेय की मार्केटिंग शुरू होगी ऐसे में ये दोनों प्रतिभाशाली युवा इंजीनियर कुछ सार्थक काम पानी को लेकर कर रहे है - यह अच्छा लगा।

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही