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Posts from 10 to 20 April 16 NGOs Request




दोमुंहापन सीखना हो तो इनसे सीखो, देश के युवाओं को पढ़ाई से निकालकर जेलों में झोंक रहे है, विवि को घटिया इरादों का अखाड़ा बना दिया है, एक बारहवी पास शिक्षा मंत्राणी IIM में ज्ञान बाँट रही है, एक अफजल गुरु के वंशजों से मिलकर सरकार बनवाता है, किसान दस से बीस हजार के कर्ज के आत्महत्या कर लेता है, एक आदिवासियों की जमीन हथियाकर महिला के गुप्तांगों में पत्थर रखवाता है और मुंह पर जहरीला रसायन फिकवाता है नक्सलवादी मर्दानगी के नाम पर, एक दारु में लिप्त रहकर रानी बनी फिरती है, बुन्देलखण्डमें पीने को पानी नही और मामा सबको मामू बनाकर 5 हजार करोड़ बर्बाद कर देता है, और ढपोल शिरोमणि चौबीसों घण्टें भाषण के मूड में रहकर कुछ भी बकर करता है। 
देश में काला धन लाने वाले अपने जमाईयों को सफ़ेद धन दिन दहाड़े ले जाने देते है, उद्योगपतियों की बीबियों की मुस्कान पर अरबों का कर्ज माफ़ कर देते है, एक घटिया कारपोरेट प्रधानमन्त्री के काँधे पर हाथ रखकर प्रशासन को ताकत दिखाता है, पद्मश्री जैसे राष्ट्रीय सम्मान गली मोहल्ले के चापलूसों को बाँट दिए जाते है और एक भांड को राष्ट्रपति बनाने के ख्वाब संजोये जाते है। अपनी सी बी आई और सुरक्षा व्यवस्था के बजाय देश को पनामा पर भरोसा जिस देश में नागरिकों को हो जाए वह देश पतन के गर्त में गया है , क्या और सबूत चाहिए ? 
जाहिल और अंधे लोग ना पढ़े और ना कमेंट करें



और वैसे भी गृह त्यागियों, संयमी और पुरुषार्थ में लिप्त व्यक्तियों को "कोहिनूर" की जरूरत नही पड़ती। 
संघ ने धैर्यवान, वीर्यवान और संयमी बनना सीखाया है। सारे प्रेरणा गीत इन्ही संदेशों के द्योतक है।


सुबह वाट्स एप्प पर किसी को कहा कि महावीर जयंती की शुभकामनाएं तो उसने कहा कि मैं हिन्दू हूँ और अल्पसंख्यक नही, मेरे आराध्य श्रीराम है महावीर नही।
दिल खट्टा हो गया, क्या घटियापन है ये ?

बहरहाल देर से ही सही अहिंसा परमोधर्म और अपरिग्रह जैसा वृहद सन्देश देने वाले भगवान महावीर जयन्ति की शुभकामनाएं आप सबको ।


मेरे खाते में 15 लाख तो नही आये पर अभी इंग्लैण्ड से एक पार्सल आया है ब्ल्यू डार्ट कुरियर से जिसमे कोहिनूर निकल आया है, एकदम असली वाला भगवान की कसम ।
मोदी जी का धन्यवाद ।

कोहिनूर आ भी जाता तो नागपुर की 45 डिग्री में पिघल जाता, इसलिए हमने और अमित जी भाई शाह ने तय किया कि उसे महारानी के पास ही रहने दिया जाए, रहा सवाल जनता का तो वो समझ चुकी है कि जब पन्द्रह लाख नही मिलें तो अरबों खरबों का कोहिनूर आने से रहा।
चलो अब सब लोग बीफ, दादरी, सिंहस्थ, व्यापमं, गौ माता, पाकिस्तान, दंगों और चुनाव में ध्यान लगाओ
चलो सब बोलो
अच्छे दिन ....... आएंगे !!!
भारत माता की ..... जय !!!!!!!

कई लोग इन दिनों मुझे कह रहे है कि
"नोकरी नही है, छूट गयी है, छोड़ना चाह रहा हूँ, काम का बहुत तनाव है, समय नही मिल पा रहा है ...."
मैं पूछता हूँ कि तो मैं क्या करूँ ?
एनजीओ में आपकी बहुत पहचान है, कोई नोकरी लगवा दो, समाज सेवा करना बचपन का शौक था, अब कर लेंगे....बस साठ सत्तर हजार तनख्वाह मिल जाए और आराम हो, भोपाल, इंदौर, बड़े शहर में हो....गाँव नही जाएंगे, सफर नही करेंगे दूर दराज के इलाकों में!!! यानि कमीनपन खून में है लगता है।
मैं कहता हूँ कि आजकल एनजीओ में काम करने के लिए बहुत दक्षताओं और कौशल की जरूरत होती है, चाहे इंदौर के ISSW से फर्जी MA Social Work किया हो जिसे इस घटिया संस्थान के गधे MSW कहते है या कही और से घर बैठे डिग्री खरीदी हो, अंग्रेजी और कम्प्यूटर में भी अच्छा ज्ञान होना चाहिए और एनजीओ में इन दिनों सबसे ज्यादा फण्ड की दिक्कतें है, इस सरकार ने फण्ड का कबाड़ा कर दिया है, लोकतन्त्र में सबसे बड़ा रोजगार देने वाला यह पांचवाँ स्तम्भ असहाय है ...
फिर कहते है चलो छोडो, आप तो एक एनजीओ खुलवा दो, फण्ड दिलवा दो, आपका जो कमीशन हो वो ले लेना, दो चार प्रतिशत .... कब आ जाए पँजीयन करवाने ....
इसी के साथ कुछ और ज्ञानी मिलते है जो कहते है " भाई अपना एनजीओ है, सात आठ साल हो गए उसे ही ले लो, बस रजिस्ट्रार के यहां रिपोर्ट बनाकर देनी है, आडिट करवाना है तुम ले लो, प्रोजेक्ट लाओ खूव कमाओ और हमे 20-25 % दे देना बस तुम भी बेरोजगार हो, खुद भी ऐश करो और हमे भी घर बैठे मिलता रहेगा" । ये वे लोग है पेटभर खा पीकर बैठे है और अघाये हुए है , सरकारी नोकरी करते है पार्ट टाइम और यहां वहाँ मुंह मारते रहते है रूपये पैसे के लिए और महिलाएं इनकी कमजोरी है, कभी दफ्तर में या शहर में नही मिलते पूरे देश में वामपंथ या किसी और जन्मजलों का चोगा ओढ़े देश के बुद्धिजीवी बने फिरते है। इन्हें लगता है कि इनके कहने से मैं इनकी चाकरी कर इनकी दूकान चालू करवा दूंगा और ये हरामखोर खाएंगे भी और यश भी कमाएंगे।
दिल करता है इन जैसे लोगों को चौराहे पर खड़ा करके चार जूते लगाऊँ और उलटा टांगकर लाल खड़ी मिर्च की धूनी दे दूँ !!!
एक ढूँढो हजार मिलते है 
😃😃😃😃
🐲🐲🐲🐲

मित्रों , मैं खुद तीन साल से बेरोजगार हूँ और मैंने नोकरी नही करने का निर्णय लिया है। मैं बहुत प्रकार के काम करके गुजर बसर कर रहा हूँ, कृपया नोकरी के लिए अनुरोध ना करें, सिफारिश के लिए भी ना कहें और उधार भी ना मांगे । बहुत कड़ा जवाब मिलेगा - याद रखियेगा।

आप लोग इतने घटिया, आत्म मुग्ध, ऐयाश, मक्कार, भृष्ट, निकम्मे, आत्मकेंद्रित, कार्पोरेट्स के तलुएचाटु, विदेश प्रेमी और मानव विरोधी होंगे हमने ये भी पूर्वानुमान नही लगाया था उमा जी, वरना कांग्रेस जैसी दुनिया की सबसे घटिया पार्टी के बदले हम आकाश गंगा की सबसे लद्दड़ और अकर्मण्य पार्टी को वोट कतई नही देते ये 31 प्रतिशत लोग, सूखे के समय भगवान से प्रार्थना करना और योजना ना बना पाना कोई आप जैसे चाटुकारों से सीखें जो सिहस्थ में इंसान / जानवरों को मारकर धूर्त साधुओं के लिए काजू बादाम लूटा रहे है, आपकी गंगा साफ़ हो गयी क्या, या नोटँकी जारी है ?
याद दिला दूं आपके श्यामला हिल्स के मुख्यमंत्री आवास पर आपने गौ शाला बनवाई थी और रोज दफ्तर में घुसने से पहले पूजा करती थी आप, जब एक फर्जी और टाइम पास मुख्यमंत्री आपको पार्टी ने बनाया था।
एक बार जाकर अपने पूर्व विधानसभा क्षेत्र बड़ा मलेहरा, जिला छतरपुर, मप्र, होकर आईये जहाँ गाँव के गाँव खाली है और आपके राखी वाले भैया शिवराज जी उज्जैन में पुण्य कमा रहे है ।
कभी तो दिमाग का इस्तेमाल करो, राजनैतिक अनुभव नही तो ठीक है, पर अपनी उम्र के लायक अक्ल का तो इस्तेमाल करो या चुपचाप अज्ञातवास में चली जाओ बजाय कि उलजुलूल बयान देकर झांसी की लक्ष्मी बाई के क्षेत्र को प्रतिनिधित्व देकर अपना मानसिक दीवालियापन सार्वजनिक कर रही हो।
देख रहे है अटल जी, आडवाणी जी आपकी पार्टी का क्या हाल बना रखा है इन टुच्चे लोगों ने !!!


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