Skip to main content

Bertold Brekht's Statemenet and Posts of 26 and 27 April 16


''सबसे निकृष्ट अशिक्षित व्यक्ति वह होता है जो राजनीतिक रूप से अशिक्षित होता है। वह सुनता नहीं, वह बोलता नहीं, राजनीतिक सरगर्मियों में हिस्सा नहीं लेता। वह नहीं जानता कि जि़न्दगी की कीमत , सब्जि़यों,मछली, आटा, जूते और दवाओं के दाम तथा मकान का किराया---- यह सबकुछ राजनीतिक फैसलों पर निर्भर करता है। राजनीतिक अशिक्षित व्यक्ति इतना घामड़ होता है कि इस बात पर घमण्ड करता है और छाती फुलाकर कहता है कि वह राजनीति से नफरत करता है। वह कूढ़मगज़ यह नहीं जानता कि उसकी राजनीतिक अज्ञानता एक वेश्या , एक परित्यक्त बच्चे और चोरों में सबसे बड़े चोर----- एक बुरे राजनीतिज्ञ को जन्म देती है जो भ्रष्ट तथा राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का टुकड़खोर चाकर होता है। ''


- ब्रेर्टोल्ट ब्रेष्ट
*****

इनके बाप काँधे पे हाथ रख देते है, माँ का आँचल चेहरे पे झूल जाता है, बेटा इतना नजदीक है कि हवा भी बीच से निकल नही सकती। 
देश का गरिमामयी परिधान मंत्री एक परिवार से इतना नजदीक और पानी लाने गयी 11 बरस की मृत योगिता के माँ बाप को राहत का एक दाना भी नही, बुन्देलखण्ड या मराठवाड़ा में एक पाऊल चल कर भी नही गया। 
आई पी एल और सिंहस्थ की धूम धाम के बीच पानी और सूखे के बीच, कुपोषण और बलात्कारों के बीच इस दुबले होते लड़के से मिलना देश की प्राथमिकता है।


*****
मंडला से एक आदिवासी स्त्री, हाथ में भविष्य और सर पर वर्तमान का बोझ, आजीविका की तलाश में भटकता जीवन और यहां हम लोग सिंहस्थ में 5 हजार करोड़ रुपया उड़ा रहे है। दुर्भाग्य से इसका धर्म हमारे धर्म में अहमियत नही रखता और इसलिए इसकी संस्कृति को हम जानते है ना महत्व देते है क्योकि इसके ना शंकराचार्य है, ना मोरारी बापू और ना कोई अवधेशानंद !!! पानी के लिए जद्दोजहद करती चिलचिलाती धूप में रोटी के लिए भटकती यह स्त्री आपको बेचैन नही करती तो व्यर्थ है आपके धर्म, व्याख्याएं और पुण्य देने वाले सिंहस्थ । व्यर्थ है सरकार, राज्य और कल्याणकारी राज्य का संविधान, एक बार सोचिये जरा कि क्यों दण्डकारण्य क्षेत्र में या देश के आदिवासी बहुल राज्यों में नक्सलवाद फ़ैल रहा है । यह सदियों से उपेक्षित है और रहेगी, हमारे पास कोई हल नही है और ना हम चाहते है ।
क्या इस भारत माता के लिए स्त्री समानता और जेंडर के मुद्दे है किसी भद्र महिला के लिए ???
शर्म मगर उनको आती नहीं है।
*****
एयर मार्शल ने 225 करोड़ की रिश्वत ली, कांग्रेस के पूरे कुनबे के साथ ये देश प्रेमी त्यागी देश का पेड देशभक्त था ।
जो कहते है कि डिफेन्स में कमीने और भृष्ट नही है, कहाँ है ? मैं अपने अनुभव से आज फिर कहता हूँ Defence is the most organized corrupt sector.

*****
Only for my Marathi Friends who can understand Marathi Language.
कोकणस्थ लाडू रेसीपी:
लाडू करताना लाडवाला बेदाणा फक्त टोचावा आणि पुन्हा काढावा. खाणार्याला वाटते नेमका आपल्याच लाडवाचा बेदाणा पडला असावा. आणि अशा प्रकारे एकच बेदाणा सर्व लाडवांना पुरून उरतो. 
😜😜
सारस्वत लाडू रेसिपी: 
लाडू वळताना लाडवामध्ये बेदाण्याऎवजी कोलंबी भरता येईल का?..याचा विचार करत असतील
😜
देशस्थ लाङू रेसेपी
😁😁

बेदाणे (बचकभर) कसेही लाडूच्या मिश्रणात फेकावे....
जेणेकरुन काही लाडवात 5-7 बेदाणे व काही लाडु बिचारे बेदाण्याशिवाय नाराज बसावेत....

कर्हाडे लाडु रेसेपी
स्वतःलाच छान लाडु करता येतात असल्या फालतु overconfidance 😎मुळे लाडवाच्या मिश्रणात बेदाणेच टाकायला विसरतात

ckp लाडू रेसिपी
बेसन, तूप आणि बेदाणे आणावेत. पूर्वतयारी म्हणून Jack Daniels उघडावी.

दोन घोट पोटी गेल्यावर बेसनाची भजी करावीत, तूप मटणात वापरावं, आणि बेदाणे चखणा म्हणून खावेत
96k लाडू रेसिपी
बेसन, तूप, बेदाणे इ. घेऊन बसावं

मग "शिवरायाच्या कुळात जन्मलेले हे हात काय लाडू वळण्यासाठी आहेत का?" अशी गगनभेदी गर्जना करून काका हलवाईचे लाडू आणावेत
*****
इस बीच राहुल ने मन मोहन सिंह से पूछा कि उन हवाई जहाजों की चाभी कहाँ है जो इटली से मम्मी ने त्यागी अंकल के मार्फत मंगवाए थे !!!
*****
मोदी जी ने भ्र्ष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात कही है
- विजय गोयल, भाजपा नेता ।
वसुंधरा ने फोन करके शिवराज जी को कहा " मामू चीयर्स, आ रही हूँ सिंहस्थ के बहाने व्यापमं समझने"
मामा जी ने कहा, आ जाओ ....चीयर्स, खनिज का हिसाब भी सीखा दूंगा।
*****
किसी अंग्रेज़ी कविता का हिन्दी में अनुवाद करना सरल और कम जोखिम भरा काम है, पर जब बात कहानी, उपन्यास, नाटक और आलोचना की आती है तो बड़े - बड़े तुर्रमखां शुतुरमुर्ग बनकर अकादमिक हो जाते है और 1001 बहानों की किताब खरीद लाते है कि समय नहीं है.......
साहित्य के गुण दोष

*****
कितना विरोधाभास है कि जो लोग अम्बानी के, अडानी के, जिंदल के, टाटा के प्रोजेक्ट्स में काम करते है या अजीम प्रेम की दलाली चापलूसी करके रोटी खाते है वे लोग आम जन के विकास, लोकतांत्रिक मूल्यों और विकेंद्रीकरण की बात करते है और सबको शिक्षित करने की दुहाई देते है। ये वो घटिया लोग है जो सरकारी व्यवस्थाओं को ध्वस्त कर इन दल्लो के लिए जगह बना रहे है। विडम्बना है कि हमारे कामरेड्स भी अब इन्ही कार्पोरेट्स के आगे हाथ पसारे भीख मांगते फटी पेंट की दुहाई देकर समाजसेवा के नाम पर इनकी दुदुंभी बजा रहे है।
तीस चालीस साल काम करके जब चूक गए तो दौड़कर इनकी गोद में बैठ गए और अब शर्म भी नही आती कि जिस निजीकरण और बाजारीकरण के झंडे लेकर जगह बनाई थी आज उसी में अपनी कब्र खोदकर बैठे है। जिस ब्यूरोक्रेसी को कोसते थे आज कार्पोरेट्स के पिट्ठू होने के कारण ब्यूरोक्रेट्स के तलवे चाटते है, ये वो लोग है जो खाना खाते खाते अपनी रोटी और प्याज बेच देंगे, जमीर आत्मा और शरीर तो बेच ही चुके है । तिस पर से आत्म श्लाघा और आत्मरति का मुगालता इतना कि अपने काले कारनामे थोबडो के साथ बेशर्मी से दिखाते है।
*****
मुझे चिंता शिवराज जी की है कि 31 मई के बाद सिंहस्थ उज्जैन के काले कारनामों को CAG के सामने सफ़ेद कैसे करेंगे और इसकी जांच भले ही औपचारिकता हो पर होगी तो सही फिर सी बी आई को क्या जवाब देंगे।
बस खुशी इस बात की है कि मामा को आशीर्वाद देने देश को मामू बनाने वाले ईमानदारों के सरदार, मेहबूबा मुफ्ती के भाई, अफजल के रिश्तेदार, नवाज शरीफ के हमजाद और विश्व के नेता मोदी मामा आ रहे है, धर्म सम्मेलन में सरकारी खर्च पर पन्थ निरपेक्ष संविधान के तहत।
जब व्यापमं में कोई कुछ नही उखाड़ सका तो यहां तो लाखो साधू संतों की दुआ, गांजा, भांग का असर रहेगा।
जय हो ।

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही