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Showing posts from July, 2015

Posts of 30 July 15

वसुंधरा ताई को नमन, सुबह सवेरे- भोपाल और नई दुनिया- इंदौर में आज श्र्द्धासुमन स्वरुप ताई को याद करते हुए

अनुनाद में शिरीष भाई और मल्हार मीडिया में ममता यादव जी का आभार 29 July 15

अनुनाद में शिरीष भाई का आभार ख़ाली जगह दरअसल हमारे जैसे दूर के लोगों के लिए उतनी ख़ाली नहीं है, वहां वह आवाज़ उतनी ही गरिमा के साथ हमेशा निवास करेगी।   http://www.anunad.com/2015/07/blog-post_29.html शुक्रिया मल्हार मीडिया और ममता यादव जी.... http://www.malhaarmedia.com/gallery/the-age-will-complete-end-of-hukum-huzuri/

Pots of 29 July 15 by Prof Linda Hess

A Post by Prof Linda Hess , Head, South Asian Languages and Culture, Stanford University , Stanford, USA. aftr the sad demise of Vasundhara tai Komkali Today with the rest of the world, I receive sad news of the passing of revered classical singer Padmashri Vasundhara Komkali, fondly known as Tai, head of a stu pendous musical family in Dewas, wife of legendary Kumar Gandharva, mother and teacher of singer  Kalapini Komkali , grandmother and great grandmother to singer Bhuvanesh, his wife Uttara and their son Alakh. Many others are posting pictures of her. I post this word-picture, from the book that the family helped me to produce, about Kumar Gandharva and Kabir. I asked her to speak about the nirgun voice, the voice of "no-quality" or shunyata, emptiness, that Kumarji had said was the way to sing Kabir. She replied (as translated from Hindi), "How can I say anything? I can only show you by singing. It has to do with how you throw the voice [phenkna]. That is nirgun

“जब होवेगी उम्र पुरी, तब टूटेगी हुकुम हुजूरी, यम के दूत बड़े मरदूद, यम से पडा झमेला” (पंडित स्व कुमार गन्धर्व की पत्नी पदमश्री वसुंधरा ताई का निधन )

“भानुकुल”   आज उदास है ऐसा उदास वह 12 जनवरी 1992 को हुआ था जब भारतीय शास्त्रीय संगीत के मूर्धन्य गायक पंडित कुमार गन्धर्व ने अंतिम सांस ली थी, दुर्भाग्य से आज फिर माताजी के रास्ते वाले सारे पेड़ ग़मगीन है और भानुकुल में एक सन्नाटा पसरा है. भानुकुल देवास की टेकडी के नीचे बसा एक बँगला है जहां भारतीय संगीत के दो महान लोग आकर बसे और इस शहर के माध्यम से देश विदेश में भारतीय संगीत और खासकरके निर्गुणी भजनों की अनूठी परम्परा को फैलाया. इसी बंगले में पंडित कुमार गन्धर्व ने संगीत रचा, नए राग रागिनियों की रचना की, उनके सुयोग्य पुत्र मुकुल शिवपुत्र ने संगीत की शिक्षा ली, पंडित की पहली पत्नी भनुमति ताई के निधन के बाद उनकी सहयात्री बनी ग्वालियर घराने की प्रसिद्द गायिका विदुषी वसुंधरा ताई जिनके साथ पंडित जी का दूसरा विवाह अप्रैल सन 1962 में हुआ. कुमार जी को यक्ष्मा की शिकायत थी और मालवे के हवा पानी ने उन्हें एक नई जिन्दगी दी, एक फेफड़ा खोने के बाद भी उनका संगीत में योगदान किसी से छुपा नहीं है.  कुमार जी के होने में और यश के शिखर पर पहुँचाने में वसुंधरा ताई के योगदान को भूलाया नहीं जा सकता, ज

Posts of 28 July 15

और आखिर आ गयी आज। डा कलाम को सच्ची श्रद्धांजलि और प्रेरणा अनुज  Priyam Tiwari  की। बस अपुन, सायकिल और व्यायाम । कुछ कर नही पा रहा था और शरीर बेढब हो चला था - बीमारियों का घर, मधुमेह और ना जाने क्या क्या. काम की व्यस्तता देर रात तक जिलाए रखती है और सुबह उठकर घूमना हो नहीं पाता अब कम से कम दस किलोमीटर सायकिल रोज चलेगी तो शायद कुछ फर्क पड़े कम से कम हड्डियां तो मजबूत हो बाकी तो खुदा जाने............ शुक्रिया प्रियम एक अच्छी सीख देने के लिए तुमसे वादा किया था ना कि जैसे ही घर पहुंचूंगा ले लूंगा सो आज ग्वालियर से आते ही खरीद लाया और चार किमी चलाकर लाया थोड़ा अजीब लगा पर फिर एकदम बेफिक्र होकर मस्त हवाओं से टकराता और भीगता घर लौट आया और एक नजर का टीका लगाया. मजा आ गया. IBN Khabar 7 पर कलाम की यादों से सराबोर हुआ सोशल मीडिया… में अपनी भी एक छोटी सी टिप्पणी जरुर पढ़े, बहुत मार्मिक टिप्पणियाँ है डा कलाम को लेकर. http://khabar.ibnlive.com/blogs/publicview/dr-apj-abdul-kalam-former-president-2-394682.html आज डा कलाम की मौत के बाद एक अजीब बहस वामपंथी

सदी के महानतम नायक - डा ए पी जे अबुल कलाम को श्रद्धांजलि

8 अगस्त सन 2008 के दरबार हाल, राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली, मे जब वे आये और मैं उठा तो उन्होंने कंधा दबाकर बिठा दिया और बोले "sit down my dear friend, tell how women sarpanches are performing in your state ?" और मैं उनसे लगभग तीन मिनिट बतियाता रहा। आज उनकी मौत की खबर अभी रेल में पढी तो झुरझुरी आ गयी, डा कलाम आप शायद सच में विकसित भारत के लिए नींव के पत्थर थे और आज सारा राष्ट्र और पूरी वैज्ञानिक सोच वाली बिरादरी अपने को अनाथ महसूस कर रही है. आज जबकि आपके जैसे लोगों की देश को जरूरत थी तो आप चले गए, सोचिये मरते दम तक बच्चों , युवाओं में आप अपने भाषणों और प्रेरक उदबोधनों से देश के लिए अपने सपनों को पूरा करने के लिए लगे रहे. मुझे गर्व है कि मैंने आपको देखा है और सदी के महानतम नायक से बात की है. आप हमेशा मेरे दिल में रहेंगे. सलाम कलाम साहब !! मेरे जीवन का अनमोल चित्र जो अब धरोहर है.......

गुरदासपुर हमला एक गंभीर चेतावनी है

गुरदासपुर पर हुआ हमला दुखद है , इसके तुरंत बाद मोदी जी द्वारा की जा रही त्वरित कार्यवाही यथा केन्द्रीय सुरक्षा बालों को, एनएसजी को तुरंत गुरदासपुर रवाना करना और उच्च अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति का जायजा लेना आदि प्रशंसनीय है. दरअसल मुझे लगता है कि यह आतंकवादियों की ओर से एक चेतावनी थी जबकि सुप्रीम कोर्ट याकूब मेनन की अर्जी पर कोई निर्णय लेने वाला था. यह भारत जैसे बड़े देश को एक बार फिर धमकाने और कमजोर करने की बड़ी साजिश है. कंधार काण्ड याद कीजिये और वह ब्लैकमेल. मुझे लगता है कि यह सिर्फ आतंकवादी हमले की बात नहीं, बल्कि हमारे पुरे खुफिया तंत्र और मुस्तैदी का भी सवाल है कि आखिर हमारी गुप्तचर एजेंसियां क्या कर रही है , केंद्र सरकार ने हाई अलर्ट छह लोगों की मौत के बाद जारी किया जबकि 30 तारीख जैसे जैसे पास आ रही थी तो क्या सरकार को स्वतः संज्ञान लेकर देश , सुरक्षा बलों को सचेत रहने को नही कहना चाहिए था ? दूसरा , इस समय दुनिया की नजर याकूब की फांसी पर लगी है तो चाक चौबंद रहना क्या हमारी जिम्मेदारी नही थी ? वे तीन-चार आतंकवादी तो मानव बम बनकर थाने में बैठे ही है जो 112 इंच का सीना

Posts of 20 -22 July 15

1 सन 19 65 में अमेरिका ने भारत को सड़े हुए लाल गेहूं देना शुरू किये तो लाल बहादुर शास्त्री ने ललकार कहा था कि नहीं चाहिए हमें सड़े हुए लाल गेहूं , मेरे देश के लोग एक समय खाना नहीं खायेंगे तो मै इतना अन्न बचा लूंगा कि देश के सभी लोगों को पर्याप्त भोजन दे सकूं. और उन्होंने अपील की तो लोगों से शास्त्री सोमवार चालू किया मेरे घर में मेरे पिता , दादा , दादी , चाचा और तमाम लोग ये शास्त्री सोमवार किया करते थे , बहुत लोगों को याद होगा कि कई गरीब लोगों ने भी ये शास्त्री सोमवार करना आरम्भ किये थे   और इस तरह से हमने देश को अकाल और भूख से बचाया और सबको समान और भ्रातृत्व भाव से खाना उपलब्ध करवाया- क्योकि अपील करने वाले लाल बहादुर शास्त्री जैसे आदर्श राजनेता थे और टाटा बिड़ला और तमाम बड़े लोग उनके मातहत थे , उन्हें सम्मान देते थे , प्रधानमंत्री की पीठ पर हाथ रखने की हिम्मत इन उद्योगपतियों की कभी नहीं हुई. सबसीडी का मामला बहुत विवादास्पद रहा है, सरकारों के लिए यह एक मुश्किल रही है क्योकि देश का एक बड़ा हिस्सा गरीबी में जीता भी है और संघर्ष भी करता है परन्तु ठीक इसके विपरीत एक बड़ा हिस्सा गरीबी से

धार के गरीब आदिवासी आपकी राह तक रहे है डा आनंद राय

खबर है कि डा आनंद राय जो डाक्टर कम विह्सिल ब्लोअर के नाम पर ज्यादा जाने जाते है , का राज्य शासन ने पिछले हफ्ते अटैचमेंट ख़त्म कर इंदौर के क्षेत्रीय स्वास्थ्य प्रशिक्षण संस्थान से उनके मूल विभाग जिला अस्पताल , धार कर दिया है , और उन्हें प्राचार्य, क्षेत्रीय स्वास्थ्य प्रशिक्षण संस्थान ने कार्य मुक्त भी कर दिया है. अब डा आननद राय अखबारों की दो सौ से ज्यादा कटिंग काटकर हाई कोर्ट में जाने की तैयारी कर रहे है कि उन्हें इंदौर में रहने दिया जाए क्योकि इंदौर के ही किसी और अस्पताल में दस-बारह स्वास्थ्यकर्मी अटैचमेंट पर काम कर रहे है. ये डा राय अच्छे से जानते है कि अटैचमेंट ही था, उनका पोस्टिंग स्थाई नहीं हुआ था , और वैसे भी एक अच्छे डाक्टर को इंदौर के मरियल और बाबू राज से ग्रस्त क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थान , जहां काम के नाम पर कुछ नहीं होता है, और घटिया राजनीति , बाबूओं में आपस में मारा पीटी और गाली गलौज अक्सर होता रहता है , के बजाय अस्पताल में होना चाहिए. नैतिकता और समय का तकाजा तो यह है कि वे जिला अस्पताल , धार में जाए और अपना काम पुनः आरम्भ क रें ना कि अब व्ह्सिल बजाये क्योकि अब तो न

Post of 16 July 15

सिर्फ वित्त आयोग ही नहीं बल्कि राज्य योजना आयोग में एक आय एफ एस अधिकारी के कार्यकाल की भी जांच होनी चाहिए शिवराज जी के कार्यकाल में जो तीन चार बार चुनाव होने पर भी जमे रहे और अरबों के बजट से खेलते रहे. बार बार लिखने और अनुरोध करने पर भी तीन तत्कालीन मुख्य सचिव, प्रदेश शासन की हिम्मत नहीं थी कि उन्हें अपने पद से हटा सकें. इस अधिकारी ने प्रदेश में विकेंद्रिकरण के नाम पर कई विदेश यात्राएं की, अपनों को उपकृत किया और पुरे स्टाफ में भी टेक्नीकल सपोर्ट यूनिट के नाम पर अंधाधुंध भर्तिय ाँ की जो कि बिलकुल ही स्तरहीन लोगों की भर्तियाँ थी. यूनिसेफ से लेकर तमाम एजेंसियों के साथ इनके संबंधों की भी जांच होनी चाहिए. प्रदेश में विकेंद्रीकरण के नाम पर मामाजी की शह पर इस अधिकारी ने मोटोरोला के जीपीएस से मेपिंग के महंगे सेट खरीदे और जिलों में बाँट दिए जो आजकल धुल खा रहे है,  दो तीन जिलों में पाईलेट प्रोजेक्ट के तहत संसाधनों की मेपिंग के लिए नागपुर की एक फर्म को ठेका दिया जिसमें से एक जिले होशंगाबाद के मूल कागज़ जिला सान्खियिकी अधिकारी कार्यालय से गायब हो गए, तत्कालीन जिला कलेक्टर को भी चुप रहने

Post of 15 July 15

इटारसी में पिछले एक डेढ़ माह से रेलवे का आवागमन बन्द है रोज देश से लेकर रेलवे का करोडो का नुकसान हो रहा है। लाखों यात्री परेशान है बस वाले होशंगाबाद भोपाल का दो सौ रूपये तक ले रहे है पर कही कोई आवाज नही, मीडिया में सन्नाटा, और प्रदेश के लोकप्रिय व्यापम में व्याप्त मामाजी के राज में चार छह बस अतिरिक्त नही चल सकती यह इस उन्नत प्रदेश का हाल है। 3000 लोग इस इटारसी के स्टेशन को सुधारने का काम चौबीसों घण्टे कर रहे है पर अभी एक डेढ़ माह तक यह ट्रैक चालु होने की कोई उम्मीद नही है।  और  देश के प्रधानमन्त्री पूरी बेशर्मी से दुनिया के सामने "डिजिटल इंडिया" का यशगान कर रहे है। क्या ख़ाक डिजिटल इंडिया , एक रेलवे ट्रैक तीन माह में सुधरेगा तो !!! सीधा गणित है भैया , निजीकरण कर दो इस सुविधा का भी - दे दो अम्बानी और अडानी को, इसी की तैयारी कर रही है सरकार , इससे ज्यादा और क्या कर सकती है.......... शर्म मगर उनको आती नहीं है......... NDTV पर नमक घोटालें की खबर है अभी स्पेशल कार्यक्रम आ रहा है, पिछले साल जब मैंने एक अध्ययन किया था उसमे इस बात को बहुत तल्खी से उठाया था कि किस

Posts of 13 July 15 In Gadhi, Balaghat MP

यकायक वह कमरे में घुस आई और मेरे हाथ में चाकू देखकर अचकचा गई , बोली ये क्या ? मैं थोड़ा सा लज्जित हुआ और दुसरे हाथ में रखा घर से लाया आम आगे करते हुए बोला कि कुछ नही आम काट रहा था और आप आ गयी, आम खायेंगी ? वो बोली नही, मैं फ़ालतू चीजें नही खाती। कप उठाकर लौट गयी। कल से इस जंगल में बने गेस्ट हाउस में हूँ पंद्रह कमरों में हम कुल जमा दो लोग है एक मैं और एक ऑस्ट्रेलियन आर्मी का केप्टन जो तीन साल की छुट्टी लेकर भारत के आदिवासियों के लिए बिजली की समस्या और सौर ऊर्जा के विकल्पों पर का म कर रहा है। दिन भर सोता है और रात को गाँवों में निकल जाता है लैम्प देखने, बड़ा विकट लौंडा है। हमारे यहां तो पक्की नोकरी मिल जाए तो जिंदगी ऐय्याशी में बीतती है. फिलिप्स मर्फी नाम है अभी म्यांमार होकर आया है।  ये गेस्ट हाउस की देख रेख एक अधेड़ महिला करती है जो सारे दिन प्रदीप के गाने जोर से टेप चलाकर सुना करती है , ना जाने क्या दर्द है इसके भीतर, कुछ पूछो तो काटने दौड़ती है पर बड़ी तन्मयता से दोनो समय नाश्ता, खाना और बढ़िया सी चाय पिला देती है। जंगल मानो इसके भीतर से उगा और खत्म हो गया...। एक नीलकंठ फिर दिख

Posts of 8 July 15

मप्र में आजकल आत्माएं ज्यादा है, पहले भी शराब की दुकानों के समय को लेकर आत्मा जगी थी, और अब फिर छः माह बाद फिर आत्मा की आवाज जगी है. रात भर जागना कितना मुश्किल है यह तो भुक्तभोगी ही समझ सकता है... मप्र में अंततः हर कहानी, मुद्दे और खेल का पटापेक्ष हो गया, सब भूल जाईये और फिर से चैन की बंसी बजाईये. अगले पांच साल तक सब ख़त्म और बाकी तो सब कुशल मंगल ही है........दिल्ली जिसको जाना था वो दिल्ली चले गए, जिसको निपटाना था, उसको निपटा दिया, जिसको जो बकना था बक लिया, पार्टी से जिसको दिक्कत थी वह स्पष्ट हो गयी, अब मामला सी बी आई और फाईलों के बीच है, जांच और तथ्यों के बीच का खेल है, यात्री भत्ता और होटलों के बिलों का खेल है, सर्किट हाउस और मुर्गें कबाबों की बारी है, शराब और हलफनामों का दौर है, नए - नए शिगुफों और जानकारियों का दौर है. बस सब ठीक है, अब गद्दी भी सुरक्षित है, साम्राज्य सुरक्षित और शिकार भी सुरक्षित.  यकीन मानिए अब कोई नहीं मरेगा. आमीन

सिर्फ तथागत नहीं 7 July 15

मेरे लिए ये सिर्फ तथागत नहीं है, गौतम बुद्ध नहीं, राजकुमार सिद्धार्थ नहीं, अंगुलिमाल, आनंद  या आम्रपाली के गुरु नहीं, वरन एक समूची जीवन पद्धति है, अनुशासन है, और जीवन की आशाओं - निराशाओं के बीच से निकलने वाली एक ऐसी राह है - जो चलना, गिरना, उठना, समझना, समझाना और रोना - हंसना सिखाती है. ना जाने क्यों इन मुश्किल दिनों में जब बहुत जगह से बहुत निराशा हाथ लग रही है और बहुत कुछ करने के बाद भी बहुत कुछ नहीं कर पा रहा तो अंत में अंतस में बहुत नैराश्य सा छा गया है, चहूँ ओर व्याप्त अन्धकार और त्राहि - त्राहि से भयभीत हूँ और ना जाने क्यों ऐसे में तथागत याद आते है. उनके चेहरे की शान्ति और दैदीप्त्मान आभा से सीख रहा हूँ कि कैसे मौन रहकर भाषा बोली जाए, कैसे विपश्यना को जीवन में उतारकर कलुष और संताप से दूर रहा जाएँ, कैसे अपरिग्रह और वासना से दूर रहकर सीमित संसाधनों में साँसों का स्पंदन बरकरार रखा जाए. पर अभी तो याचक की भाँती खडा हूँ पता नहीं किन दरवाजों और देहरियों पर और एक भिक्षु बनने में  बहुत देरी है - शायद जन्मों का फासला है और पता नहीं कब मुझे तथागत के चेहरे की शान्ति समझ आयेगी और क

ये पेड़ नहीं, आने वाली पीढी को सौंपे जाने वाली विरासत है 7 July 15

ये पेड़ नहीं है - बल्कि एक पीढी को सौंपे जाने वाली धरोहर है. बहुत दिनों से लग रहा था कि मेरे कमरे में कुछ अधूरापन है फिर लगा कि शायद हरियाली सूख रही है, तो एक दिन जाकर कुछ पेड़ ले आया, और एक बरगद मिल गया इसे इस उम्मीद से लगाया है कि इसके नीचे जरुर बहुत कुछ उगाउंगा और फिर शायद कोई कहावत नई रच पाऊं.  Alok Jha  ये देख लो, शायद हम एक ही नाव में भटके ही सही, सवार तो है......चेत रहे है पेड़, फ़ैल रही है बैलें, और निकल रही है नई शाखें और उग रही है कोंपलें ताकि कुछ और नया सृजित हो सकें. कम से कम कुछ हरी पत्तियाँ, कुछ नई शाखें और कुछ अन्दर ही अन्दर फैलती सी जड़ें 

व्यापम की खबरें और प्रतिक्रिया Posts of 4 to 6 July 15

देश के हालात कितने खतरनाक हो चले है तीन महत्वपूर्ण राज्यों के मुख्यमंत्री विभिन्न जघन्य आरोपों में फंसे है, अर्थ तंत्र बिगड़ गया है, स्टॉक एक्सचेंज गिरा पड़ा है, शिक्षा से लेकर हर तरफ भ्रष्टाचार का भयानक बोलबाला है, प्रशासन और न्यायपालिका तक सब गडमड्ड हो गया है, मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे है, मीडिया के लोगों को मारा जा रहा है, कोई भी मुख्यमंत्री सीबीआई की जांच के दायरे में आने को तैयार नहीं, देश की सीमाएं सुरक्षित नहीं है, आपदाएं सर चढ़कर बोल रही है और ऐसे में माननीय प्रधानमंत्री श्री मोदी जी का आज से पांच देशों की यात्राओं पर जाना, साथ अपने विश्वसनीय जेटली को भी ले जाना क्या इंगित करता है ? देश में जो मंत्री बचे है वे एक डेढ़ साल में कोई निर्णायक भूमिका नहीं निभा सके है, हम सब जानते है, वे सिर्फ यस सर की भूमिका में है !!! क्या अमित जी शाह इस संकटकाल में संकटमोचन बनेनेगे ? या प्रधानमंत्री जी सब्सिडी, सेल्फी, आदि के बाद कोई नया शिगूफा छोड़ेंगे विदेश से? या उनकी नजर में ये मुद्दे कोई मुद्दे नहीं है विदेश यात्राओं की तुलना में ??? देश के हालात सचमुच आपातकाल जैसे हो रहे है,