Skip to main content

मप्र में दहेज़ के लिए एक ओर हत्या 17 Oct 15


मप्र में दहेज़ के लिए एक ओर हत्या








मैहर निवासी अंजलि गुप्ता  को कल रात दहेज़ के लिए उसके पति और ससुराल वालों ने छह माह की बेटी सहित बाथरूम में बंद करके जला दिया। अंजलि की अपनी बेटी सहित मृत्यु हो गयी। अंजलि मेरी सहकर्मी और पुरानी साथी Santoshi Gupta​ की छोटी बहन थी।

संतोषी ने अभी बातचीत में इस वीभत्स घटना का जिक्र किया और ये भयावह तस्वीरें भेजी और आग्रह किया कि दादा इसे लिखो और मप्र के मुख्यमंत्री से लेकर महिला आयोग और मीडिया तक सब जगह भेजो।

यह मप्र है जहाँ महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध होते है। नवदुर्गा के उत्सव चल रहे है, कितने दोगले समाज में हम रह रहे है । मुझे शर्म आती है कि हम इस समाज में रह रहे है जहां अंजलि जैसी महिलायें  और माही और भूमि जैसी बच्चियां सुरक्षित नही है। 

इन्हें समाज मार रहा है और कोई नही। और एक नपुंसक समाज में जब तक गैर बराबरी और भेदभाव महिलाओं के साथ  होता रहेगा तब तक ये हत्याएं होती रहेंगी। 

ये भयावह तस्वीरें शेयर करने के लिए माफी चाहता हूँ पर संतोषी का आग्रह था अस्तु सिर्फ इसलिए भी और नवरात्रि पर दोगले समाज का असली चेहरा दिखाने के लिए पोस्ट कर रहा हूँ। पहला चित्र अंजलि का है और दूसरा छह माह की बेटी का है।

आप लोग बताएं कि इन जल्लादों  का क्या करें और सरकार क्या करें। आखिर समाज को ही जिम्मेदारी लेना होगी सरकार से अब नहीं होगा, क़ानून से नहीं होगा। हम जो आसपास रहते है अपनी बहू बेटियों की सुरक्षा के लिए हमे ही आगे आना होगा।

आज का दिन बहुत पीडादायक  है

आज दिन भर कई मित्रों के सन्देश आये, फोन आये और कई मित्रों से बातें भी हुई. कई साथियों को लगा कि ये चित्र हटा देना चाहिए और मुझे भी एक बार लगा परन्तु बाद में लगा कि क्या चित्र हटाने से यह वीभत्स मानसिकता खत्म हो जायेगी. मै ये चित्र रखना चाहता हूँ ताकि मुझे और हम सबको यह सनद रहे कि महिलाओं और बेटियों को लेकर हमारी क्या मानसिकता है और हम उनके साथ कैसा व्यवहार करते है. यह हम सबके लिए एक चुनौती है. 

यहाँ मै किसी सरकार को गाली नही दूंगा और कोसुंगा नहीं, पर यह हम सबकी साझी जिम्मेदारी है. जैसाकि Mahendra Sanghi​ जी ने लिखा है यह एक परिवार का नही पूरे समाज का मामला है. पति पत्नी  के बीच होने वाली हिंसा या किसी भी महिला के साथ हुई छेड़ छाड़ उसका व्यक्तिगत नहीं बल्कि हम सबका मामला है और हमारी साझी जिम्मेदारी. 

ये चित्र हमे याद दिलाएंगे कि हम कहाँ आ गए है और कितने वीभत्स हो गए है जहां हम गाय को लेकर दुनियाभर में चिंतित है परन्तु हमारी बेटियाँ और महिलायें ऐसे ही मरती रहेंगी?  

घरेलू हिंसा से महिलाओं को संरक्षण जैसा कडा क़ानून 2005 में आया, निर्भया के बाद जस्टिस वर्मा समिति ने उसमे संशोधन करके कड़े प्रावधान बनाए पर जब तक समाज नहीं जागता तब तक कोई कुछ नहीं कर सकता.

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही