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Posts of 6 Sept 15



मेरे बेटे को शेर ने मार दिया तो वन प्राणी अधिनियम के तहत दस हजार रुपयों का मुआवजा मिला मुझे और गाँव के एक लडके ने शेर को मार गिराया तो उसे उम्र कैद की सजा हुई .........क्या क़ानून है साहब आप लोगों का.......
मालवा में नर्मदा के बाँध के कारण हमारे आदिवासियों को गाँवों से उजाड़कर पानी डाल दिया और यहाँ हम अपने खेतों में जंगल से नहर नहीं ला सकते क्योकि वन प्राणी अधिनियम है.........फसलें सूख रही है हमारी.........कोई देखेगा....
हम भी आदिवासी है और वो भी और देश एक ही है..........आप लोग तो पढ़े लिखे है पर नियम बनाना आप लोगों से सीखे कोई कि कैसे आप लोग मूर्खताएं करते है और हम आदिवासियों पर जुल्म करते है.
नहीं चाहिए हमें आपकी शिक्षा, संडास और सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सडा हुआ गेहूं चावल......हमें अपने खेतों में रहने दीजिये और जंगल से महुआ बीनकर लाने दीजिये -इमली, चार और जलाऊ लकड़ी लाने दीजिये वही बहुत है.
जितने वन विभाग के बड़े अधिकारी है सब भ्रष्ट है और हमारे मुर्गे ले जाते है खडी फसल तोड़ लेते है, हमारी औरतों को परेशान करते है, हमारे बच्चों को मारते है, बुजुर्गों को पीटते है .......अगर यही शिक्षा पाकर वे बड़े अधिकारी बनते है तो हमें ऐसी शिक्षा नहीं देनी हमारे बच्चों को, भाड़ में जाए आपका विकास और आपकी योजनायें.......
एक आदिवासी की व्यथा जिसके 22 बरस के जवान बच्चे को जंगल में शेर ने खा लिया और वह अपने ही खेतों के पचास सागवान के पेड़ों को हाथ नहीं लगा सकता और खेती भी नहीं कर सकता. वन विभाग से त्रस्त यह आदिवासी बुजुर्ग सिवनी जिले के कुरई ब्लाक के दूरस्थ गाँव में मुझे अपनी व्यथा सुना रहा था. और मेरे पास कोई जवाब नहीं था.
सही कहा था किसी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा से बड़े गुंडे है भारतीय वन सेवा के अधिकारी - मद मस्त, भ्रष्ट और अश्लील.

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आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

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