Skip to main content

Post of 9 June 15



इतनी घटिया सरकार और निम्नस्तर पर बदला लेने वाली सरकार कभी इतिहास में नही आयेगी और आप कहते है कि विकेंद्रीकरण, लोकतांत्रिक और संविधान में विश्वास रखने वाली सरकार है. निहालचन्द्र जैसे बलात्कारी और 40 % घोर अपराधी लोगों के साथ लोकसभा में बैठे सांसदों के साथ और मप्र, में भ्रष्ट और छग में नर संहारों को बढ़ावा देने वाले मुख्यमंत्रियों को आश्रय देने वाली "पार्टी विद डिफरेंस" का क्या ? सवाल "आप" का नहीं और जीतेंद्र तोमर का नहीं बल्कि साधू संतों के भड़काने वाले बयानों, उमा भारती जैसे मंत्री जो राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के मामले में दोषी है, के साथ साथ खुद नेता गुजरात के भीषण नर संहार में शामिल है जिसे पुरी दुनिया जानती है, और आप बात करते है ईमानदारी और नैतिकता की !!!

देश की शिक्षा मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी की डिग्री चेक करने के येल विवि जाने की हिम्मत है दिल्ली पुलिस में ?

कितना शर्मनाक है एक तानाशाह का इस तरह का निर्णय जो एक विरोधी विचारधारा और चुने हुई सरकार को बर्दाश्त नहीं कर सकता और तो और यह बताईये कि कितने लोग यानी विधायक, सांसद, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, प्रशासनिक अधिकारी और काबीना मंत्री सच में दूध के धुले है ?

अब मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करके देश में संविधान को और तमाम व्यवस्थाओं को भंग करके एक नई व्यवस्था बनाने में सोचें. अन्यथा ना अब इस देश से प्यार है और ना कोई देश भक्ति की भावना बची है. शर्म आती है कि इस तरह के टुच्चे लोग हमारे नेता है चाहे वो केंद्र में बैठे लोग हो या जीतेंद्र तोमर या स्मृति, उमा भारती, राघव, निहाल चन्द्र, या कोई और.............!!!

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही