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मोदी के बाद भारत और दलित संघर्ष - एक व्यंग्य


एकदम सही समय हो आरक्षण ख़त्म करने का !!!
कारण साफ है ना सपा , ना बसपा, सब अगड़े , कोई ना पिछड़ा !!! 
सही कह रहा हूँ पुण्य मिलेगा, राम मंदिर बनाने के साथ धारा 370 ख़त्म करें हम सब, समान आचार संहिता लागू करें और अंग्रेजों के बनाए सब क़ानून ख़त्म करें 
देश है तो लोग है ।

देश में सच में बहुत चेतना है और विकास हुआ है। जाति और बाकी सब भी इन सत्तर सालों में ख़त्म हुआ है यह मै गंभीरता से कह रहा हूँ। सपा और बसपा का सफाया, उप्र से एक भी मुसलमान सांसद का ना आना भी एक संकेत ही है। अब हमें नए सामाजिक समीकरणों और इंजिनीयरिंग की जरुरत है। समाज विज्ञानियों को यह कौतुहल लग सकता है पर सच तो सच है। अब दलित पिछड़ों और मुसलामानों को दरकिनार करके राष्ट्र हित में हमें आगे बढना होगा और आने वाले दशक में देश को जग सिर मौर बनाना होगा। 
आईये इस हवन में हम सब साथ चलें । देश के कमजोर तबके के दिन फिरने वाले है। देश के होने वाले प्रधानमंत्री जी श्री मोदी जी चायवाले, चौकीदार और मजदूरों की स्थिति जानते है और यह दिल से कह रहा हूँ तंज नहीं है। यह एक विकास की अच्छी शुरुवात है मेरी शुभकामनायें उन्हें।

ख़त्म हो गए आम्बेडकर , ज्योतिबा फुले और सावित्री फुले।
अब बंद कर दो छुट्टी और ख़त्म कर दो सब दलित विमर्श
सब हम एक है और हम सब एक है। 
अब सिर्फ हम एक वृहत्तर समाज की बात करेंगे और यही समय है जब एक नए संविधान की रचना करें और पुराने संविधान को निरस्त करें 
आईये नए भारत की रचना करें जो एक मत से देश का "विकास" चाहते है.

सत्तर साल से चल रहा दलित उत्थान और आरक्षण देश के विकास में बाधक है और सारे दलित भी अब विकसित हो गए है। और जो अभी भी पिछड़े है ओर अल्प ज्ञानी है वे समय रहते देश छोड़ दें हमें विकास करना है पर आप जैसे गधों और दलितों के साथ नहीं जाईये फुट लीजिये ...अछूत कही के
देखते नहीं अब देश में एक स्थिरता है और सब एकजुट है और संकल्पित है दृढ विकास के लिए।

Wats app पर बहुत ही घटिया सन्देश और चित्र सोनिया और राहुल मन मोहन सिंह को लेकर फैलाए जा रहे है। 
इतने अश्लील है कि देखने में भी शर्म आती है। क्या स्तर हो गया है हमारी मानसिकता का और दिमागी दीवालियेपन का। अभी एक चित्र मोदी और सोनिया का आया है और यह बहुत तेजी से वाईरल हो रहा है। 
इस तरह के चित्रों पर रोक लगायें मित्रों ।
लोकतंत्र में विवाद होना और मतों में भिन्नता का स्वागत करें पर इस तरह के चित्र आपकी मानसिकता पर पारिवारिक संस्कारों को इंगित करते है। याद रखें जो फोटो शॉप सोनिया को मोदी को इस तरह से बना सकती है वो हमारे परिवार को भी चौपट कर सकती है। 
कृपया ध्यान रहें कि हम संस्कार युक्त समाज और सभ्यता में अभी भी रह है।

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