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हम अपना "नेशनल केरेक्टर" बना पायेंगे कभी.... श्याम लाल ने पूछा !!!

Photo: ये है श्याम लाल अमरकंटक एक्सप्रेस में एसी कोच की देखरेख  करते है। कल इन्होने बताया कि लोग कम्बल नेपकिन और सफ़ेद चादरे चुरा ले जाते है फलस्वरूप इनके छह हजार वेतन से हर माह ठेकेदार  पंद्रह सौ काट लेता है। इन्होने कहा कि ये दुर्ग के पास एक गाँव में रहते है बहुत गरीब परिवार है चार हजार में गुजारा भत्ता कैसे होगा। यह सोचना ही मुश्किल है। 
एक सवाल बड़ी मासूमियत से श्यामलाल यादव ने पूछा कि आप लोग जो एक-दो हजार का टिकिट खरीदते है रेलवे के कम्बल और नेपकिन क्यों उठा ले जाते है । अगर यही आपका दांत मांजने का ब्रश भी आप बेसिन पर भूल जाते है तो चोरी का इल्जाम हम जैसे गरीबों पर लग जाता है। रात को हमें रूपये देकर सिगरेट दारु  माँगते है। कैसे बड़े लोग एसी में आते है और आपकी नियत कितनी खराब होती है। जितनी गन्दगी आप लोग करके जाते है उतनी तो  हम भी नहीं करते भले झोपड़ियों में रहते हो। 
श्यामलाल  ने कहा कि हमें आपके जैसे बड़े लोगों से नफ़रत है जो देश  चलाने का काम करते है। गरीबों की हाय लेकर और  रेलवे के नेपकिन चुराकर कौनसा मैदान जीत लोगे आप लोग....
श्यामलाल देर तक बड बड रहा था और मै सोच रहा था कि क्या अब इस चुनाव के बाद हम अपना "नेशनल केरेक्टर" बना पायेंगे कभी या हर गरीब गुर्गा कलपता रहेगा और कोसता रहेगा।



ये है श्याम लाल अमरकंटक एक्सप्रेस में एसी कोच की देखरेख करते है। कल इन्होने बताया कि लोग कम्बल नेपकिन और सफ़ेद चादरे चुरा ले जाते है फलस्वरूप इनके छह हजार वेतन से हर माह ठेकेदार पंद्रह सौ काट लेता है। इन्होने कहा कि ये दुर्ग के पास एक गाँव में रहते है बहुत गरीब परिवार है चार हजार में गुजारा भत्ता कैसे होगा। यह सोचना ही मुश्किल है। 

एक सवाल बड़ी मासूमियत से श्यामलाल यादव ने पूछा कि आप लोग जो एक-दो हजार का टिकिट खरीदते है रेलवे के कम्बल और नेपकिन क्यों उठा ले जाते है । अगर यही आपका दांत मांजने का ब्रश भी आप बेसिन पर भूल जाते है तो चोरी का इल्जाम हम जैसे गरीबों पर लग जाता है। रात को हमें रूपये देकर सिगरेट दारु माँगते है। कैसे बड़े लोग एसी में आते है और आपकी नियत कितनी खराब होती है। जितनी गन्दगी आप लोग करके जाते है उतनी तो हम भी नहीं करते भले झोपड़ियों में रहते हो। 


श्यामलाल ने कहा कि हमें आपके जैसे बड़े लोगों से नफ़रत है जो देश चलाने का काम करते है। गरीबों की हाय लेकर और रेलवे के नेपकिन चुराकर कौनसा मैदान जीत लोगे आप लोग....


श्यामलाल देर तक बड बड रहा था और मै सोच रहा था कि क्या अब इस चुनाव के बाद हम अपना "नेशनल केरेक्टर" बना पायेंगे कभी या हर गरीब गुर्गा कलपता रहेगा और कोसता रहेगा।


Yesterday I shared a story of Shyam Lal an AC Coach Attendant, Am really overwhelmed, in the way story is shared by more than 745 friends and non friends of FB. I am really thankful to all of you and really feeling obliged. Some web news editions have published it too and bloggers also picked up, am thankful to them too. 

Although, some of my Friends are requesting me to delete that story or his Photo as they are afraid that his job may be terminated in lieu, for such thoughts and all. But I dont feel, the story is in favor of Indian Railway and the boy should not be punished. He has put forward a harsh reality and this is the high time that we need to really think of poor, marginalized and working class. So called upper class and Rich people have been targeted who are creating a garbage in the Society and due to their misconduct we all have to pay and sacrifice.

We need to be ready in case if any action is taken against him, I hope you all will support him.

Thanks again for your likes, comments and share folks. Keep watching your surroundings and bring out cases here at this powerful Media.

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