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पांच वर्षीय परीक्षा

पांच वर्षीय परीक्षा 
                               (सभी प्रश्न अनिवार्य है केवल अंत मे से किसी एक को हल करिये)

प्रश्न 1 -  2 /3 जी के प्रकार और इसमे सम्मिलित भागीदारों के नाम और उनके कार्यों पर प्रकाश डालिए

प्रश्न 2-  कोयले का हमारे जीवन मे क्या महत्व है इसकी राजनैतिक व्याख्या करते हुए देश मे कोल समस्या पर प्रकाश डालिए.

प्रश्न 3-  राजनीती  मे महिलाओं के योगदान पर प्रकाश डालते हुए तानाशाही और सत्ता के सन्दर्भ मे भारत मे नारी पूजा के विभिन्न रूपों  को प्रस्तुत कीजिये.

प्रश्न 4-  भारतीय प्रशासन सेवा के सन्दर्भ मे इस कथन की व्याख्या करें कि "भारतीय प्रशासन सेवा इस देश के पतन के लिए एकमात्र जिम्मेदार व्यवस्था है"

प्रश्न 5- राजनीती मे तोते की परिभाषा को समझाते हुए इसके कार्यों पर विस्तृत रूप से टिप्पणी करें
या
राजनीती मे बकरे की ऊपादेयता पर व्याख्या करें और इसके महत्व पर सारगर्भित टिप्पणी करें.


(सभी प्रश्नों के अंक समान है, कृपया रफ कार्य और भडास हेतु फेसबुक जैसे विकल्प मौजूद है यहाँ उत्तर पुस्तिका पर अपनी भड़ास निकाल कर सफाई के अंक व्यर्थ ना जाने दे)

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आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

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