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एक हिस्सा भी हमेशा के लिए खत्म हो गया.............

मरने  से पहले हममे से हरेक को यह छूट मिलनी चाहिए कि हम खुद अपनी चीर-फाड़ कर पाए, अपने अतीत की तहों को प्याज के छिलकों की तरह एक-एक करके उतारतें जाये.......आपको हैरानी होगी कि सब लोग अपना-ना हिस्सा लेने आ पहुचेंगे ------माँ, बाप, दोस्त, भाई बहन, पति, पत्नी........सारे छिलके दूसरों के आखिर की सूखी डंठल आपके हाथ में रह जायेगी जो किसी काम की नहीं, जिसे मृत्यु के बाद जला दिया जाता है या मिट्टी के नीचे दबा दिया जाता है ..हर आदमी अकेला मरता है, मै यह नहीं मानता, वह उन सब लोगों के साथ मरता है जो उसके भीतर थे, जिनसे वह लडता था, या प्रेम करता था. वह अपने भीतर पूरी एक दुनिया लेकर जाता है. इसलिए हमें दूसरों के मरने पर जो दुःख होता है, वह थोड़ा बहुत स्वार्थी किस्म का दुःख है क्योकि हमें लगता है कि इसके साथ हमारा एक हिस्सा भी हमेशा के लिए खत्म हो गया.............

धूप का एक टुकड़ा.........से एक अंश

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