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प्रशासन पुराण 61

साहब ने पूछा कि प्रदेश का जन्म दिन मनाना है, वो क्या कहते है स्थापना दिवस,  शासन के सख्त आदेश है कि कोई भी विभाग इससे छूट ना पाए और सभी को इसमे भाग लेना है, यह ध्यान रहे कि शहर के नागरिकों को इसमे लाना है,  सी एम ओ यह ध्यान रहे..........!!! एक बोला सर पिछले साल कुर्सियां खाली रह गई थी और तत्कालीन जिलाधीश ने जब यह तस्वीर अखबार में देखी तों भड़क गये थे, इस बार क्या करे छोटा बोला.  तों अबकी बार सारे फोटोग्राफरों को कहना कि तस्वीर ऐसी खींचे कि सभागृह भरा- भरा नजर आये, हाँ कोई खास पहल......जी सर वो सरकार का मानना है कि बेटी बचाओ को ज्यादा तवज्जो दे और हरियाली कार्यक्रम को भी .......ठीक, महिला बाल विकास ध्यान रहे एक- दो बेटी वालों को सम्मानित कर दो, झुग्गियों से पकड़ लाना और ढंग के कपडे पहनना उन्हें पहले स्टेज पर लाने के ओके......वन विभाग पेड़ लगाओ..........सर अभी इस मौसम में .........जी हाँ, शासन की मंशा का निरादर मत करो, पेड़ लगाओ और सुनो वो गर्ल्स कालेज की प्राचार्य आई है क्या .............जी सर, अचानक एक चहकती सी आवाज सुनाई दी, और सबका ध्यान उधर ही रह गया. .........देखिये आपकी सारी लडकियां वहाँ होना चाहिए कुछ नाच-गाना हो जाये, प्रदेश का स्थापना दिवस है और अगर लडकियां आने में नाटक करे तों उनके प्रेक्टीकल नंबर तों तुम्हारे हाथ में होते है ना, अरे मेडम बेटी बचाओ में ये लडकिया ही तों काम आयेगी, सुनो सारे विभागों पर लाईट लगवा देना और शाम को जश्न हो ढंग से, और बच्चो की रैली सुबह सात बजे शुरू हो जाये शिक्षा अधिकारी.....साहब अगर यह आठ हो जाता समय, तों बेहतर होता क्या है ना मेरे घर नल आते है सात से आठ तक और वाईफ ज़रा बीमार चल रही है, ठीक है ठीक है आठ कर दो यार पर बच्चे और खासकरके लडकियां ज्यादा होना चाहिए, खूब नारे लगाए जोरो से मेरे बंगले के सामने अंदर तक आवाज आनी चाहिए, ...........और कोई सीडी बनवाओ और कुछ स्ट्रीट प्ले नहीं हो सकता क्या बेटी बचाओ पर..........और शाम को कोई और बेटियाँ सांस्कृतिक प्रोग्राम नहीं कर सकती........जी हो जाएगा साब.....महिला बाल विकास ........जी सर......सब हो जाएगा.........बेटी बचाओ तों सबसे भला काम है साहबजी ..और फ़िर इस शहर में बेटियाँ ही तों बचानी है आखिर में......हेहेहेहेहेहेहेहे, और सुनो डीपीओ ये शहर के जो भी बूढ़े आयेंगे प्रोग्राम में, उन्हें गाड़ी से छुडवा देना, सबको पकड़ कर बिठाना गाड़ी में तुम खुद, बाद में कोई गिर जाता है या रह जाता है ग्राउंड में तों ये मीडिया बहुत हल्ला मचाता है, पी आर ओ अबकी मीडिया को मेनेज कर लेना कोई गडबड नहीं चाहिए मुझे. भले ही  सबको शाम को रेस्टहाउस बुला लों देख लेंगे जो भी होगा....अरे हाँ वो गाने की सीडी कौन फाइनल करेगा......मुझे वो पन्द्रह अगस्त वाले गाने नहीं चाहिए.........और फ़िर.....अरे हाँ देखना ये कार्यक्रम एक नवंबर को ही है ना पता नहीं,  यह प्रदेश साला एक नवंबर को ही क्यों गठित हुआ था, और  साला मेरी शादी की  सालगिरह भी है उसी दिन और वाईफ बहुत पंगा करेगी........भोपाल चले जाते दिन भर, डीबी माल में शापिंग कर लेते कुछ फेमिली के लिए पर यहाँ......अरे हाँ...........जिलाधीश का प्रलाप जारी था....(प्रशासन पुराण 61)

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