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मुझे छोड़ के जाने के लिए आ..........श्रद्धांजलि मेहंदी हसन साहब

तुम्हारे लिए ................सुन रहे हो.............कहा हो तुम................

रंजिशे सही दिल ही जलाने के लिए आ, आ फ़िर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ........

ज़िदगी में तो सभी प्यार किया करते हैं
मैं तो मरकर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा
तू मिला है तो ये एहसास हुआ है मुझको
ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है
एक ज़रा सा ग़म-इ-दौरान का भी हक है जिस पर
मैंने वो सांस भी तेरे लिए रख छोड़ी है
तुझ पे हो जाऊँगा कुर्बान तुझे चाहूँगा
मैं तो मरकर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा

{मेंहेंदी हसन की आवाज़ मैं एक दिलकश ग़ज़ल}

Govind Piplwa  की दीवार से साभार.............

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