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लेकिन एक भी आदमी ऐसा है ............जो वह तुम्हें समझता है,

तुम्हारे लिए.............सुन रहे हो..........कहा हो तुम.............

ये तुमसे कह दिया किसने कि बाजी हार बैठे हम।
मोहब्बत मेँ लुटाने को, अभी तो जान बाकी है ॥
 
ये दिल ही तो जानता है मेरी मोहब्बत का आलम ।
कि मुझे जीने के लिए साँसोँ की नहीँ तेरी जरुरत है ॥



"मैंने कभी अपने गुरूदेव हजारी प्रसाद द्विवेदी से पूछा था, ' सबसे बड़ा दुख क्या है?' बोले, 'न समझा जाना।'
और सबसे बड़ा सुख? मैंने पूछा।
फिर बोले,' ठीक उलटा! समझा जाना।'

अगर लगे कि दुनिया में सभी गलत समझ रहे हैं लेकिन एक भी आदमी ऐसा है जिसके बारे में तुम आश्वस्त हो कि वह तुम्हें समझता है, तो फिर उसके बाद और किसी चीज की कमी नहीं रह जाती।"

- नामवर सिंह ( समालोचन में छपे प्रो. जगदीश्वर चतुर्वेदी के एक लेख से साभार)

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