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पकज की कविता

"संदीप भाई, अपनी ही एक कविता आपकी नजर-


नए शहर के अनजान माहौल में


हमें याद नहीं करना पड़ता,


बरबस ताजा हो उठता है


अपना गाँव, कोई मित्र ।


खाना खाते-खाते


माँ याद हो आती है


जैसे गाड़ी बिगड़ने पर


याद आ जाता है पुराना मिस्त्री ।


उदास होने पर


साहस दे जाती हैं वे बातें,


जो कही थीं सबने, बरसों पहले


घर से निकलते वक्त ।


जीवन में जब भी


मिलती है खुशी


पुराने साथी ही याद आते हैं


पहले-पहल ।
"

पंकज शुक्ला, नईदुनिया की टीम से , मेरा फेस बुक पर कमेन्ट पढ़कर

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