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दो सुहाने दिन बर्बाद हो गए...... ज़िन्दगी के

आज दोस्तों का दिन है और मैंने योजना बने थी पिछले रविवार को कि आज वन विहार जायेंगे क्योकि में जनता था कि आज दोस्ती का दिन है और वह खूबसूरती से मनाएंगे पर कहा हो पता है सब सोचा हुआ ? कल रात को भी साडी योजना बन गई थी कि आज सुबह उठकर बढ़िया नाश्ता करेंगे और फ़िर वन विहार जायेंगे और फ़िर पुरा दिन ऐश ही होंगी वावेस और विंड पर दारू बियर बस ऐश ही ऐश ..........
सुबह ऐसी अपशगुनी होगी मुझे पता नही था पुरा दिन बर्बाद हो गया बल्कि पुरे दो दिन बर्बाद हो गए में यहाँ रुका था कि चलो इसके साथ एक अच्छा दिन बीतेगा पर हम शायद ज्यादा उम्मीद करते है .........
एक कहावत यद् आ गई कि " करेले को घी में घोलो या शक्कर में वो कड़वा ही रहता है " पुरा दिन सोता रहा फ़िर पढ़ाई का नाटक करता रहा फ़िर टेस्ट का बहाना करता रहा जब मेरे दो फ़ोन आए तो कहने लगा कि मुझे परेशानी हो रही है पर थोडी देर बाद कोई महिला मित्र का फ़ोन आया तो उठकर देर तक बातें करने लगा फ़िर जब मैंने कहा कि बहार चलना है तो बोला कि मुझे पढ़ना है आख़िर में ही बाहर चला गया........
बाहर बढ़िया माहौल था मैंने एक बर्गर खाया और दारू का सामान ले कर आ गया.........
एक सिख मैंने ली है कि ज़िन्दगी अपने तै ही जीना चाहिए........ किसी के लिए जीने से कोई फायदा नही है खासकर अब आगे से किसी के साथ नही रहूँगा क्योकि अपने कारन और किसी कि गोपनीयता भी भंग हो जाती है आज़ादी छीन जाती है अपनी और सामने वाले कि भी और फ़िर भयानक किस्म का मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है ज़िन्दगी पर............
तुमने मेरा दोस्ती का एक महत्वपूर्ण दिन और ज़िन्दगी के दो अनमोल दिन बर्बाद कर दिए है ....... मेरा वन विहार देखने का ख्वाब शायद अब कब पुरा होगा मुझे नही पता पर मैंने कई किस्म कि सीखे ली है कि ज़िन्दगी अपनी ही होती है कोई किसी का साथ नही देता न खुशी में न गम में..........
एक बात जरुर समझ ई है कि सारा मामला रूपये पैसो का है..............
हां, हां, हां, हां, हां,!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

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